मैंने कभी भी अपने बिहार को इतना खुशहाल, संपन्न नहीं देखा, जितना प्राचीन और मध्यकालीन इतिहास बिहार को आर्थिक प्रशासनिक और संस्कृति रूप से धनी और संपन्न दिखाता है. कभी कभी तो मुझे इतिहास पर शक होने लगता है कि आखिरकार हमारा प्रदेश कब आत्मनिर्भर, सम्पन्न और खुशहाल बनेगा, आखिरकार प्रदेश का चौमुखी और बहुमुखी विकास कैसे और कौन करेगा? बिहार और बिहार वासियों की गरिमा और प्रतिष्ठा कब स्थापित होगी?
बिहार को प्रकृति ने अपनी ओर से खूब नवाजा है, प्राकृतिक संसाधन और स्रोत प्रदेश के विकास और प्रगति के लिए शुरू से हैं. मगर इच्छा शक्ति और राजनीति कुण्ठा ने बिहार को प्रगति के रास्ते पर चलने से रोका और शायद अभी भी रोक रखा है.
अगर हम और आप गौर से देखें तो शिक्षा और रोजगार ये दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर देश का युवा सबसे ज़्यादा आंदोलित है. इसके अलावा भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कोई विकास नहीं हो सका खेती के बाद सबसे ज़्यादा रोजगार देनेवाला क्षेत्र मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ही है. जितनी खेती है, उससे ज्यादा लोग पहले से ही उसमें लगे हुए हैं. अगर परिवार को, व्यक्ति को बेहतर करना है, तो उसे वैकल्पिक रास्ते खोजने होंगे. ये रास्ते शिक्षा से ही निकलेंगे और अच्छी पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में बिहार के छात्र पलायन कर रहे हैं. जो बिहार में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में कठिन प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है. उनकी शिक्षा का स्तर सुधरे, तो राहें आसान होंगी.
सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि राजनीतिक स्तर वाले लोगों को अब तक यही मालूम नही चल पाया है कि आखिर समस्या है क्या. उन्हें यह तक नही समझ आता की सबसे अहम मुद्दा क्या है जिसपे चर्चा होनी चाहये या जिसपे की एक्शन प्लान बनने चाहिए. बिहार एक ऐसा राज्य जो कि विभिन्न धर्म, भाषा, धर्म स्थलों से प्रतिपूर्ण है. यह एक मात्र ऐसा राज्य है जहां लोग बाहर से घूमने आते है, हर साल यहां लाख से भी ज़्यादा मात्रा में लोग घूमने आया करते है. परन्तु क्या कारण है कि यहां रह रहे लोगों को या मज़दूरों को पलायन करना पड़ता है? क्यों यहां के बच्चे बाहर देशो में चले जाते है, क्यों यहां के लोग बाहर देशों में और अलग अलग राज्यों में चले जाते है? यह सवाल तो किसी के मन मे नही उठता, क्यों?
दरअसल बात तो यह है कि राजनीति के नीचे हमारा बिहार दब गया. अगर बिहार में शिक्षा का स्तर मज़बूत होता तो लोगों को उच्च शिक्षा के लिए बच्चो को बाहर देश या राज्य नही भेजना पड़ता. और अगर रोज़गार का स्तर अच्छा होता तो लोगों को, मज़दूरों को पलायन नही करना पड़ता. आज जो भी मज़दूरों की स्तिथि है वो कहीं न कहीं इन्ही बातो से जुड़ी है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की एक बहुत बड़ी भूमिका हमारे बिहार के विकास में. बिहार में औद्योगीकरण में विकास लाया जाता तो शायद बिहार आज पिछड़े राज्यों में नही गिना जाता. अगर हम बात करे कि बिहार के बारे में तो यह जानने को मिलेगा की बिहार से ज़्यादा उत्पाद और कहीं नही होती, फिर भी क्यों बिहार के मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगीकरण में को विकास नही आया?
आज जो स्थिति है श्रमिकों की मज़दूरों की वह सिर्फ इसलिए है क्योंकि बिहार में रोजगार के स्तर बहुत कम है, जिस कारण उन्हें बाहर राज्यों में पलायन करना पड़ता है. परन्तु आज अगर बिहार विकसित होता तो यह नौबत ही नही आती की मज़दूरों को रोजगार ढूंढने बाहर जाना पड़ता और ना ही उन्हें इस कोरोना महामारी में जूझना पड़ता.
बिहार में रोज़गार के अवसर को बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए, इस बात को और ज़्यादा नज़र में लाने के लिए लोग सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है, और रोज़गार के अवसर को बढ़ाने की मांग कर रहे है.
- अनुकृति प्रिया
अगर हम और आप गौर से देखें तो शिक्षा और रोजगार ये दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर देश का युवा सबसे ज़्यादा आंदोलित है. इसके अलावा भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कोई विकास नहीं हो सका खेती के बाद सबसे ज़्यादा रोजगार देनेवाला क्षेत्र मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ही है. जितनी खेती है, उससे ज्यादा लोग पहले से ही उसमें लगे हुए हैं. अगर परिवार को, व्यक्ति को बेहतर करना है, तो उसे वैकल्पिक रास्ते खोजने होंगे. ये रास्ते शिक्षा से ही निकलेंगे और अच्छी पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में बिहार के छात्र पलायन कर रहे हैं. जो बिहार में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में कठिन प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है. उनकी शिक्षा का स्तर सुधरे, तो राहें आसान होंगी.
सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि राजनीतिक स्तर वाले लोगों को अब तक यही मालूम नही चल पाया है कि आखिर समस्या है क्या. उन्हें यह तक नही समझ आता की सबसे अहम मुद्दा क्या है जिसपे चर्चा होनी चाहये या जिसपे की एक्शन प्लान बनने चाहिए. बिहार एक ऐसा राज्य जो कि विभिन्न धर्म, भाषा, धर्म स्थलों से प्रतिपूर्ण है. यह एक मात्र ऐसा राज्य है जहां लोग बाहर से घूमने आते है, हर साल यहां लाख से भी ज़्यादा मात्रा में लोग घूमने आया करते है. परन्तु क्या कारण है कि यहां रह रहे लोगों को या मज़दूरों को पलायन करना पड़ता है? क्यों यहां के बच्चे बाहर देशो में चले जाते है, क्यों यहां के लोग बाहर देशों में और अलग अलग राज्यों में चले जाते है? यह सवाल तो किसी के मन मे नही उठता, क्यों?
दरअसल बात तो यह है कि राजनीति के नीचे हमारा बिहार दब गया. अगर बिहार में शिक्षा का स्तर मज़बूत होता तो लोगों को उच्च शिक्षा के लिए बच्चो को बाहर देश या राज्य नही भेजना पड़ता. और अगर रोज़गार का स्तर अच्छा होता तो लोगों को, मज़दूरों को पलायन नही करना पड़ता. आज जो भी मज़दूरों की स्तिथि है वो कहीं न कहीं इन्ही बातो से जुड़ी है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की एक बहुत बड़ी भूमिका हमारे बिहार के विकास में. बिहार में औद्योगीकरण में विकास लाया जाता तो शायद बिहार आज पिछड़े राज्यों में नही गिना जाता. अगर हम बात करे कि बिहार के बारे में तो यह जानने को मिलेगा की बिहार से ज़्यादा उत्पाद और कहीं नही होती, फिर भी क्यों बिहार के मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगीकरण में को विकास नही आया?
आज जो स्थिति है श्रमिकों की मज़दूरों की वह सिर्फ इसलिए है क्योंकि बिहार में रोजगार के स्तर बहुत कम है, जिस कारण उन्हें बाहर राज्यों में पलायन करना पड़ता है. परन्तु आज अगर बिहार विकसित होता तो यह नौबत ही नही आती की मज़दूरों को रोजगार ढूंढने बाहर जाना पड़ता और ना ही उन्हें इस कोरोना महामारी में जूझना पड़ता.
बिहार में रोज़गार के अवसर को बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए, इस बात को और ज़्यादा नज़र में लाने के लिए लोग सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है, और रोज़गार के अवसर को बढ़ाने की मांग कर रहे है.
- अनुकृति प्रिया
Comments
Post a Comment