#Save_Dehing_Patkai जानिये देहिंग को क्यों उजाड़ना चाह रही है सरकार


देहिंग पटकाई वाइल्डलाइफ अभयारण्य असम के डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों में स्थित है और 111.19 किमी (42.93 वर्ग मील) वर्षावन के क्षेत्र को कवर करता है. ट्रॉपिकल आर्द्र सदाबहार वन में तीन भाग होते हैं: जेयपोर, ऊपरी दिहिंग नदी और डायरक वर्षावन. इसे 13 जून 2004 को वाइल्डलाइफ घोषित किया गया था. यह वाइल्डलाइफ भी देहिंग-पटकाई एलीफैंट रिज़र्व का एक हिस्सा है. यह वर्षावन 575 किमी (222 वर्ग मील) से अधिक डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और शिवसागर जिलों में फैला हुआ है.



दुनिया भर में कोरोना से जंग चल रही है. इसी बीच Covid19 महामारी से बचाव के लिए देश भर में हुए लॉकडाउन में, 7 अप्रैल, 2020 को अपनी 56वीं बैठक में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL), प्रकाश जावड़ेकर जो कि NBWL के अध्यक्ष है और वन, पर्यावरण और जलवायु मंत्री है उनकी अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, भारत ने साल्की प्रस्तावित रिजर्व फ़ॉरेस्ट में एक कोयला खनन परियोजना को मंजूरी दी, जो की देहिंग पटकाई हाथी रिजर्व का एक हिस्सा है. NBWL की स्थायी समिति ने बिक्री के लिए 98.59 हेक्टेयर भूमि के उपयोग के प्रस्ताव पर चर्चा की थी, जो कि कोल इंडिया लिमिटेड की एक इकाई - नॉर्थ ईस्टर्न कोल फील्ड (NECF) के द्वारा एक कोयला खनन परियोजना के लिए प्रस्तावित थी, और इसे मंजूरी दी.NBWL पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन है.


इससे पहले, अपनी 54वीं बैठक में NBWL ने, तिनसुकिया जिले में डिगबोई वन प्रभाग के लखपानी रेंज के तहत प्रस्तावित लेखापानी ओपन कास्ट प्रोजेक्ट का संचालन करने के लिए अपने प्रमुख के रूप में एनबीडब्ल्यूएल के सदस्य प्रोफेसर आर सुकुमार के साथ एक पैनल का गठन किया था. के द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट के मुताबिक, NBWL की स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमिटी) ने असम के वन विभाग के परामर्श से एक संशोधित साइट-विशिष्ट खदान पुनर्ग्रहण योजना के अधीन अनुमोदन के लिए टूटे हुए क्षेत्र (57.20 हेक्टेयर) के लिए प्रस्ताव की सिफारिश की थी. इसका नतीजा यह हुआ की इसके, पर्यावरणविदों ने, नागरिक समाजों ने और छात्र समुदायों ने क्षेत्र में कोयला खनन स्थल को मंजूरी देने के मामले का विरोध किया है.



यह क्षेत्र गिब्बन, धीमी लोरिस, सुअर-पूंछ वाले मकाक, स्टंप-पूंछ वाले मकाक, कैप्ड लंगूर, एशियाई हाथी, बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, गौर, चीनी पैंगोलिन, हिमालयन काले भालू, हिमालयन गिलहरी, तेंदुए बिल्ली, बादल वाले तेंदुए का घर है. यह वहां रह रहे जानवरों में से कुछ ही नाम है. देहिंग पटकाई एलीफेंट रिजर्व में पक्षियों की लगभग 293 विभिन्न प्रजातियां है, जिनमें पतला-बिलदार गिद्ध, सफेद पंखों वाला बत्तख, अधिक सहायक, कम सहायक, अधिक चित्तीदार चील, सुंदर घाट, दलदली लकड़बग्घा, नन्हा-नन्हा वैरेन-बब्बलर और भी बहुत शामिल हैं.

इस प्रकार यह क्षेत्र इकोलॉजिकल बनता है, और विभीन्न जाति-प्रजाति के पशु और पक्षी यहां रहते है. पुनर्वास योजनाओं के लिए, पर्यावरणविदों को भी इस मुद्दे के बारे में चिंता है परंतु कोल् माइनिंग शुरू करना सही नही है, क्योंकि कोल इंडिया की पहले ही खराब प्रतिष्ठा है जब परियोजनाओं की भरपाई की बात आती है. इन क्षेत्रों से जुड़े वनों की कटाई के कारण मानव-पशु संघर्ष के कई उदारहरण है. वनों को काट देने के कारण जानवरों के पास रहने की कोई जगह नहीं है, और निवास स्थान पूरी तरह से नष्ट हो चुका है जिस वजह से जानवर गांवों पर हमला कर रहे देते है.

इसके रोक के लिए आजकल लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. हैशटैग #Save_Dehing_Patkai, #Stop_Coal_Mining, #Save_Amazon_Of_The_East, #Save_Nature, #Save_World जैसे काफी ट्रेंड कर रहे है, विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने और साथ ही हस्तियों ने भी इन हैशटैग का प्रयोग कर ट्वीट किया है.


- अनुकृति प्रिया

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